वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Monday, 27 April 2020

सरकारी बाबू!

एक दफ्तर है जहाँ फाइलों ने सारी जगह घेर रखी है। बाकी जो जगह बची है उसे टेबल कुर्सी ने कब्ज़े में कर रखा है। और कुर्सी पे सदियों से बैठते आ रहे है हमारे सरकारी बाबू जी।
एक पंखा है लेकिन पंखे के चलने की रफ़्तार हमारे सरकारी बाबू के काम करने की रफ़्तार से भी ज़्यादा सुस्त है। सरकारी बाबू ने एक कूलर लगा रखा है। उस कूलर की आवाज़ इतनी है की आम आदमी की आवाज़ नहीं सुनाई देती। सरकारी बाबू सुबह आते ही मुँह में खैनी गुटका दबा लेते है। मुँह खोलते है तो शब्द कम लाल रंग की पिचकारी ज़्यादा निकलती है। और गलती से अगर कोई काम आ जाये तो उनके चेहरे से ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी ने साक्षात हिमालय उठाने को बोला हो!
अगर आप इन्हें ध्यान से देखे तो आपको इनमे आलस का देवता नजर आएगा! जब देवता है तोह भक्त भी होंगे! भक्त है तोह, चढ़ावा भी होगा। अलग अलग देवताओ के लिए अलग अलग चढ़ावा! इन सब आलस के देवताओ को गाँधी जी की फोटू बेहद पसंद आती है। गाँधी जी की फोटू देखते ही ये देवता प्रसन्न हो जाते है। और झट से अपने भक्तों की सारी मनोकामनाये पूरी कर देते है। 
यूं तोह आलस्य के मंदिर के बंद होने का समय सांय 5 बजे है, परंतु देवतागढ़ 15 मिनट पहले ही गायब हो  जाते है। यहाँ 5 बजे के बाद 1 सेकंड भी रुकना घोर पाप समझा जाता है। समय के बड़े पाबन्द है हमारे पूज्यनीय देवतागढ़!वो बात अलग है कि सुबह प्रकट होने में समय लगता है। अरे देबताओं का भी अपना ईमान धर्म होता है न जी! आलस्य के मंदिर में आलस नहीं करेंगे तो कल से भक्त लोग भी चढ़ावा देना बंद कर देंगे। 
कल को अगर देवता लोग चुनाव में खड़े हो गए तो उनका चुनाव चिह्व होगा "तोंद्" । ये इन्हें गाँधी जी की फोटू के साथ मुफ्त में मिला है! जितने सीनियर देवता उतनी ज़्यादा तोंद्। ये तोंद् इनकी शान है। मंदिर में चढ़ाया हुआ सारा प्रसाद इसी गुल्लक में जमा होता है।जब वह अपने सिंघासन पे बैठ कर इस गुल्लक पर हाथ फेरते है तो ऐसा प्रतीत होता है मानो उन्हें संसार का परम सुख प्राप्त हो गया हो। वे इतने मग्न हो जाते है कि स्वयं अप्सरा भी प्रकट हो जाये तो भी उनका ध्यान भंग नहीं कर सकती। 
ध्यान के समय उन्हें अक्सर "आलस्य परमो धर्मा " मंत्र का जाप करते हुए भी पाया गया है. 

Essence

~Who am I?~
-Raindrop-
-Snow- 
-River-
-Ocean-
~Ask water~
Depends 
I said 
On Perspective 
~You do not know my essence~
I know enough 
~What?~
The purpose.