वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Saturday 27 July 2013

शर्मा जी की प्रेम कथा l

दास्ताँ ये अजीब है,ये घटना दुर्घटना के करीब है। 
शर्मा जी को हो  गया किसी से प्यार,किन्तु बीच में आ गयी उनके पिताजी की तलवार।।

पिताजी थे बड़े कड़क, बात बात पर जाते थे भड़क। 
पिताजी ने कर दी साफ़ मना,पर शर्मा जी तो थे होने वाली mrs. शर्मा पे फ़ना।। 

पिताजी और शर्मा जी में हो गयी बातचीत बंद,शर्मा जी तो बस एक ही बात कहते mrs. शर्मा ही है मेरी पहली और आखरी पसंद।
इस बात पे बड गया पिताजी का पारा, कहा मैं न आजतक किसी से हारा।। 

शर्मा जी ने लगाया अपनी माताजी को फ़ोन, कहा खतरनाक हो गयी है पिताजी की टोन। 
माताजी के चेहरे पे मुस्कान खिली,सोचा इस नालायक को कोई तो मिली।।

आई माताजी पिताजी को समझाने, पिताजी तो फिर भी न माने।
टूट गए शर्मा जी के ख्वाब सारे ,आजतक है शर्मा जी उनके चक्कर में कुंवारे।।

ये थी मेरे प्यारे शर्मा जी की प्रेम कथा,जो बन गयी एक व्यथा ।।

Wednesday 24 July 2013

PANCHHI BAN JAO TUM..!!


​हवाओ से इश्क लड़ाओ तुम,
​बारिशो में नहाओ तुम,
​इन बादलों में कहीं खो जाओ तुम,
​अपनी आजादी का खुलकर जश्न मनाओ तुम,
पंछी बन जायो तुम 

​दिल के अरमानो को यू ना छुपाओ तुम,
​जिद के परदे जो आंखो से ढके उन्हें गिराओ तुम,
​जाने किस पल मिल जाये खुशी बस बस खुशी का इंतजार करते जाओ तुम,
​उम्मीदो के पंख लगाओ तुम,
​पंछी बन जाओ तुम ​। 

​खुशी के गीत गाओ तुम,
​अपनी हर हद पार कर जाओ तुम,
​अपने पंखो का दायरा फैलाओ तुम,
​बस उड़ते जाओ तुम,
पंछी बन जाओ तुम ​। 

​जो मुश्किलों को तुम्हें है पार करना,
​पंछी जैसी तुम उड़ान भरना,
​जो इस जिन्दगी के गहरे समुंदर से हो तरना,
​पंछी जैसी तुम उड़ान भरना,
पंछी बन जाओ तुम ​। 
बस उड़ते जाओ तुम,
पंछी बन जाओ तुम ​। 

Saturday 13 July 2013

चिरैया



 मैं एक चिरैया,
हक मुझे भी है उड़ने का ,
मेरे भी हैं कुछ सपने,
मेरे भी हैं अरमान,
                                           
 अपने पंखो को फैलाकर आसमान की सैर करना का,
 मैं भी तुम लोगो की तरह सारी दुनिया को देखना  चाहती हूँ, 
अपनी आजादी का खुलकर जश्न मानना चाहती हूँ,




 पर हर बार मुझे रोका जाता है,
दफना दिया जाता है अरमानो को,
बंदिशे लगाई जाती है मुझ पर,
कभी पर क़तर दिए जाते है,
कभी पिंजरे मे बंद कर दिया जाता है,
   
जब मैं इस खुले आसमान मे अपने पंखो को फैलाकर उडती हूँ,
क्यों  मुझ पर  तरह तरह के आरोप लगते है ?
क्या तुम लोगो की तरह मुझे भी आसमान मे उड़ने का हक नहीं ?
क्या मैं भी इस आसमान की पंछी नहीं ?



मुझे भी उड़ने दो,
मुझे भी इस खुले नीले आसमान की सैर करने दो,

मेरे भी है कुछ सपने,
मेरे भी कुछ अरमान ,
मैं हूँ एक चिरैया,
हक मुझे भी है उड़ने का!

Photograph: clicked at Pushkar,Rajasthan,India



Friday 12 July 2013

JAGO...!!

कल बीत गया,लो आ गया आज,
उठो जागो अब तो कर ले कुछ काज 

माना कल की कडवी यादें है तेरे दिल में बसी,  
इसका मतलब ये तो नहीं कि भुला दे अपनी हँसी,

अरे ! कल जो तेरा था वो तो बीत गया ,
देख! बीत रहा है तेरा आज ,
कर दे ऐसा कुछ ,
कि कल तुझको ही होगा खुद पर नाज!!

हर दर्द तूने सहा है ,
न जाने दुनिया ने तुझसे क्या-क्या है कहा ,
जो कुछ भी तूने है पाया ,इससे कहीं ज्यादा तूने गवाया 
समझ ले ये एक बात ,यहीं है जिन्दगी की माया 

"आज मौका है ,पह्चानले अपने आप को 
तुझमे इतना दम है कि कोई कर सकता तेरे अन्दर के ताप को 
उठ जा जाग जा,आज सच कर ले अपने हर अधूरे ख्वाब को "

कल बीत गया , लो आ गया आज 
उठो जागो अब तो कर ले कुछ काज। 

  ARISE,AWAKE AND WORK TILL YOU REACH YOUR GOAL....!!