वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Wednesday, 24 July 2013

PANCHHI BAN JAO TUM..!!


​हवाओ से इश्क लड़ाओ तुम,
​बारिशो में नहाओ तुम,
​इन बादलों में कहीं खो जाओ तुम,
​अपनी आजादी का खुलकर जश्न मनाओ तुम,
पंछी बन जायो तुम 

​दिल के अरमानो को यू ना छुपाओ तुम,
​जिद के परदे जो आंखो से ढके उन्हें गिराओ तुम,
​जाने किस पल मिल जाये खुशी बस बस खुशी का इंतजार करते जाओ तुम,
​उम्मीदो के पंख लगाओ तुम,
​पंछी बन जाओ तुम ​। 

​खुशी के गीत गाओ तुम,
​अपनी हर हद पार कर जाओ तुम,
​अपने पंखो का दायरा फैलाओ तुम,
​बस उड़ते जाओ तुम,
पंछी बन जाओ तुम ​। 

​जो मुश्किलों को तुम्हें है पार करना,
​पंछी जैसी तुम उड़ान भरना,
​जो इस जिन्दगी के गहरे समुंदर से हो तरना,
​पंछी जैसी तुम उड़ान भरना,
पंछी बन जाओ तुम ​। 
बस उड़ते जाओ तुम,
पंछी बन जाओ तुम ​। 

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