वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Friday 23 August 2013

नशा.… मजा या सजा ?

नशा है नशा ,है ये कैसा नशा
दूर कितना भी रह लो ,इससे कोई न बचा ,
इसके दंदल में आकर तो हर कोई है फँसा,
पहले है ये मजा ,बन जाता है फिर ये एक सजा। 

नशा है नशा ,है ये कैसा नशा,

कभी धूप का नशा, तो कभी छाँव का नशा ,
कभी चलती धीमी हवाओं का नशा ,तो कभी उडती उड़ाती आँधियों का नशा,
कभी अकेलेपन में शांति का नशा, तो कभी भीड़ में पसरे शोरगुल का नशा ,
कभी नशे में डूबने का नशा, तो कभी इससे बाहर निकलने का नशा। 

नशा है नशा, है ये कैसा नशा 

कभी तुम्हे पाने का नशा ,तो कभी तुम्हे खोने का नशा ,
कभी तुम्हारी यादों का नशा ,तो कभी तुम्हे भुलाने का नशा ,
कभी तुम्हारे पास होने का नशा ,तो कभी तुमसे दूर जाने का नशा,
कभी तुमसे प्यार करने का नशा , तो कभी तुम्हारी नफरत को भुलाने का नशा ।। 

नशा है नशा ,है ये कैसा नशा
दूर कितना भी रह लो ,इससे कोई न बचा । 




 

Thursday 15 August 2013

आजादी...!!

पाना है, पाना है,फिर से आजादी पाना है,
फिर से वही साहस दिखाना है,
शास्त्री,नेहरु और गाँधी ने जो मार्ग दिखाया ,
उस पे चलकर दिखाना है,
आजादी को फिर से पाना है।

इस बार विपदायें है अलग ,
इस बार मुश्किले है अलग ,
इस बार जंग है अलग,
इस बार सामना  नहीं अंग्रेजो से,
इस बार मंहगाई, भ्रष्टाचार ,और अनेतिकता  से पार पाना है,
आतंकवाद, क्षेत्रवाद,समाजवाद मिटाना  है,
एक बार  फिर से हमे वही साहस दिखाना है,
हमको फिर से आजादी पाना है.।

इस बार कुछ नए ढंग से आजादी मनाना है,
हिंदुस्तान में नयी सुबह लाना है,
एक नयी क्रांति की लौ जलाना है।

एक बार  फिर से हमे वही साहस दिखाना है,
हमको फिर से आजादी पाना है। 

Friday 2 August 2013

सुट्टा....मेरी जान..!!

सुट्टा मेरी जान,
मेरी एक बात मान,
ना होना जुदा मुझसे कभी,
ना होना खफा मुझसे कभी। 

तू हर गम भुला देता है,
तू हर फ़िक्र धुएं में उड़ा देता है,
तूने ही हर दर्द से मुझे उबारा
हर वक़्त तू ही था मेरा इकलौता सहारा।। 

जब exams पास आयें,
तब मुझे तेरा साथ चाहिए,
जब किसी लड़की की याद आयें, 
 तब मुझे तेरा साथ चाहिए।।

जब प्रोफेसर YB की धमकी दे,
तब मुझे तेरा साथ चाहिए,
जब माँ बाप घर से निकालने की धमकी दे,
तब मुझे तेरा साथ चाहिए।

सुट्टा मेरी जान,
मेरी एक बात मान,
ना होना जुदा मुझसे कभी,
ना होना खफा मुझसे कभी। 

सुट्टे की आड़ में,लड़की की जुगाड़ में,
कट रही थी जिन्दगी मेरी,
दर्द की नाव में ,सुट्टे की छाव में,
बस गुजर सी रही थी जिन्दगी मेरी। 

एक दिन आकर सुट्टा मुझसे बोला ,
तू हो गया जुदा मुझसे,
तू हो गया खफा मुझसे,
न जाने कहाँ चला गया,
 धुएँ में मुझे उडाता था,आज खुद धुएँ में उड़ गया।। 

साला सुट्टा मेरी जान ..…!!!

#smoking kills
#don't smoke it's not a joke..!!

Saturday 27 July 2013

शर्मा जी की प्रेम कथा l

दास्ताँ ये अजीब है,ये घटना दुर्घटना के करीब है। 
शर्मा जी को हो  गया किसी से प्यार,किन्तु बीच में आ गयी उनके पिताजी की तलवार।।

पिताजी थे बड़े कड़क, बात बात पर जाते थे भड़क। 
पिताजी ने कर दी साफ़ मना,पर शर्मा जी तो थे होने वाली mrs. शर्मा पे फ़ना।। 

पिताजी और शर्मा जी में हो गयी बातचीत बंद,शर्मा जी तो बस एक ही बात कहते mrs. शर्मा ही है मेरी पहली और आखरी पसंद।
इस बात पे बड गया पिताजी का पारा, कहा मैं न आजतक किसी से हारा।। 

शर्मा जी ने लगाया अपनी माताजी को फ़ोन, कहा खतरनाक हो गयी है पिताजी की टोन। 
माताजी के चेहरे पे मुस्कान खिली,सोचा इस नालायक को कोई तो मिली।।

आई माताजी पिताजी को समझाने, पिताजी तो फिर भी न माने।
टूट गए शर्मा जी के ख्वाब सारे ,आजतक है शर्मा जी उनके चक्कर में कुंवारे।।

ये थी मेरे प्यारे शर्मा जी की प्रेम कथा,जो बन गयी एक व्यथा ।।

Wednesday 24 July 2013

PANCHHI BAN JAO TUM..!!


​हवाओ से इश्क लड़ाओ तुम,
​बारिशो में नहाओ तुम,
​इन बादलों में कहीं खो जाओ तुम,
​अपनी आजादी का खुलकर जश्न मनाओ तुम,
पंछी बन जायो तुम 

​दिल के अरमानो को यू ना छुपाओ तुम,
​जिद के परदे जो आंखो से ढके उन्हें गिराओ तुम,
​जाने किस पल मिल जाये खुशी बस बस खुशी का इंतजार करते जाओ तुम,
​उम्मीदो के पंख लगाओ तुम,
​पंछी बन जाओ तुम ​। 

​खुशी के गीत गाओ तुम,
​अपनी हर हद पार कर जाओ तुम,
​अपने पंखो का दायरा फैलाओ तुम,
​बस उड़ते जाओ तुम,
पंछी बन जाओ तुम ​। 

​जो मुश्किलों को तुम्हें है पार करना,
​पंछी जैसी तुम उड़ान भरना,
​जो इस जिन्दगी के गहरे समुंदर से हो तरना,
​पंछी जैसी तुम उड़ान भरना,
पंछी बन जाओ तुम ​। 
बस उड़ते जाओ तुम,
पंछी बन जाओ तुम ​। 

Saturday 13 July 2013

चिरैया



 मैं एक चिरैया,
हक मुझे भी है उड़ने का ,
मेरे भी हैं कुछ सपने,
मेरे भी हैं अरमान,
                                           
 अपने पंखो को फैलाकर आसमान की सैर करना का,
 मैं भी तुम लोगो की तरह सारी दुनिया को देखना  चाहती हूँ, 
अपनी आजादी का खुलकर जश्न मानना चाहती हूँ,




 पर हर बार मुझे रोका जाता है,
दफना दिया जाता है अरमानो को,
बंदिशे लगाई जाती है मुझ पर,
कभी पर क़तर दिए जाते है,
कभी पिंजरे मे बंद कर दिया जाता है,
   
जब मैं इस खुले आसमान मे अपने पंखो को फैलाकर उडती हूँ,
क्यों  मुझ पर  तरह तरह के आरोप लगते है ?
क्या तुम लोगो की तरह मुझे भी आसमान मे उड़ने का हक नहीं ?
क्या मैं भी इस आसमान की पंछी नहीं ?



मुझे भी उड़ने दो,
मुझे भी इस खुले नीले आसमान की सैर करने दो,

मेरे भी है कुछ सपने,
मेरे भी कुछ अरमान ,
मैं हूँ एक चिरैया,
हक मुझे भी है उड़ने का!

Photograph: clicked at Pushkar,Rajasthan,India



Friday 12 July 2013

JAGO...!!

कल बीत गया,लो आ गया आज,
उठो जागो अब तो कर ले कुछ काज 

माना कल की कडवी यादें है तेरे दिल में बसी,  
इसका मतलब ये तो नहीं कि भुला दे अपनी हँसी,

अरे ! कल जो तेरा था वो तो बीत गया ,
देख! बीत रहा है तेरा आज ,
कर दे ऐसा कुछ ,
कि कल तुझको ही होगा खुद पर नाज!!

हर दर्द तूने सहा है ,
न जाने दुनिया ने तुझसे क्या-क्या है कहा ,
जो कुछ भी तूने है पाया ,इससे कहीं ज्यादा तूने गवाया 
समझ ले ये एक बात ,यहीं है जिन्दगी की माया 

"आज मौका है ,पह्चानले अपने आप को 
तुझमे इतना दम है कि कोई कर सकता तेरे अन्दर के ताप को 
उठ जा जाग जा,आज सच कर ले अपने हर अधूरे ख्वाब को "

कल बीत गया , लो आ गया आज 
उठो जागो अब तो कर ले कुछ काज। 

  ARISE,AWAKE AND WORK TILL YOU REACH YOUR GOAL....!!

Wednesday 29 May 2013

                                                                       '' उदासी ''

खुद की खुद की कैसी ये जंग है,
जिन्दगी के तो बिखरे सारे रंग है ।  

खामोशी है लबों पे,
मायूसी है दिल में छायी,
टूटे बिखरे अरमान सारे,
मैंने  तो केवल उदासी ही पाई । 

मन में बची अब न कोई आस है,
हर पल न जाने किसकी तलाश है । 

खोये खोये से रहते है,
भाता है ये अकेलापन,
भीड़ अब सताती है,
गुमसुम सा रहता है मेरा मन । 

जो चाहा है वो मिल न सका,
 जिन्दगी के बगीचे में कोई फूल खिल न सका । 

आँसू  भी सूख गए ये सारे,
आखों ने पी लिए ये गम हमारे,
जिन्दगी में अजीब सा खालीपन है,
जाने कहाँ खोया हुआ मेरा मन है ॥  

 @shubhendu chaudhary

Monday 27 May 2013



 "  क्या चाहते है हम ..? "

दो पल की ख़ुशी, ये दो पल का गम 
आने वाले पलो की आहट से 
जाने इतना क्यों घबराते है हम ?

विचारो के समुन्दर में डूबे रहते 
मन की गलियों में क्या खोजते है हम ?

जीवन की पहेली को सुलझाते रहते 
आखिर क्या जानना  चाहते है हम ?

ओढे गमो की चादर रहते 
फिर खुशियों को क्यों तलाशते है हम ?

खुद की गलतियों को छुपाते रहते 
दूसरों की कमियों को क्यों तलाशते है हम ?

 खुद से तो प्यार करते नहीं 
फिर दूसरों पर इतना क्यों मरते है हम ?

इश्वर की भक्ति तो कभी करते नहीं 
फिर उनसे इतना क्यों डरते है हम ?

जिन्दगी की परवाह तो करते नहीं 
फिर साला मौत से इतना क्यों घबराते है हम ?

मिलना तो इस मिटटी में ही है 
फिर जिन्दगी भर इस मिटटी से क्यों भागते है हम ?

''कभी समय मिले तो पूछना खुद से 
आखिर खुद से क्या चाहते है हम ?''
     


Birth will ask a question and perhaps death would answer that......!!!!

@shubhendu chaudhary