वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Thursday, 15 August 2013

आजादी...!!

पाना है, पाना है,फिर से आजादी पाना है,
फिर से वही साहस दिखाना है,
शास्त्री,नेहरु और गाँधी ने जो मार्ग दिखाया ,
उस पे चलकर दिखाना है,
आजादी को फिर से पाना है।

इस बार विपदायें है अलग ,
इस बार मुश्किले है अलग ,
इस बार जंग है अलग,
इस बार सामना  नहीं अंग्रेजो से,
इस बार मंहगाई, भ्रष्टाचार ,और अनेतिकता  से पार पाना है,
आतंकवाद, क्षेत्रवाद,समाजवाद मिटाना  है,
एक बार  फिर से हमे वही साहस दिखाना है,
हमको फिर से आजादी पाना है.।

इस बार कुछ नए ढंग से आजादी मनाना है,
हिंदुस्तान में नयी सुबह लाना है,
एक नयी क्रांति की लौ जलाना है।

एक बार  फिर से हमे वही साहस दिखाना है,
हमको फिर से आजादी पाना है। 

3 comments:

  1. hats off.. though i dont think that this can change anything but atleast even on this day some of us come up with some enthusiam in them.. nice lines... :)

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    1. thnx bhai...ha yr i agree with u bt positive rahne me kya hi jata hai..:P

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