'' उदासी ''
खुद की खुद की कैसी ये जंग है,
जिन्दगी के तो बिखरे सारे रंग है ।
खामोशी है लबों पे,
मायूसी है दिल में छायी,
टूटे बिखरे अरमान सारे,
मैंने तो केवल उदासी ही पाई ।
मन में बची अब न कोई आस है,
हर पल न जाने किसकी तलाश है ।
खोये खोये से रहते है,
भाता है ये अकेलापन,
भीड़ अब सताती है,
गुमसुम सा रहता है मेरा मन ।
जो चाहा है वो मिल न सका,
जिन्दगी के बगीचे में कोई फूल खिल न सका ।
आँसू भी सूख गए ये सारे,
आखों ने पी लिए ये गम हमारे,
जिन्दगी में अजीब सा खालीपन है,
जाने कहाँ खोया हुआ मेरा मन है ॥
@shubhendu chaudhary
खुद की खुद की कैसी ये जंग है,
जिन्दगी के तो बिखरे सारे रंग है ।
खामोशी है लबों पे,
मायूसी है दिल में छायी,
टूटे बिखरे अरमान सारे,
मैंने तो केवल उदासी ही पाई ।
मन में बची अब न कोई आस है,
हर पल न जाने किसकी तलाश है ।
खोये खोये से रहते है,
भाता है ये अकेलापन,
भीड़ अब सताती है,
गुमसुम सा रहता है मेरा मन ।
जो चाहा है वो मिल न सका,
जिन्दगी के बगीचे में कोई फूल खिल न सका ।
आँसू भी सूख गए ये सारे,
आखों ने पी लिए ये गम हमारे,
जिन्दगी में अजीब सा खालीपन है,
जाने कहाँ खोया हुआ मेरा मन है ॥
@shubhendu chaudhary