वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Monday, 15 August 2016

The writer wants to write!

एक विचार,फिर दूसरा विचार
पहला अपनी प्रस्तुती दर्ज कराना चाहता,
दूसरा भी अपना वज़न दिखाने की कोशिश करता,
इन विचारो का आपस में इतना मतभेद,
कि कोई भी पीछे नहीं हटता।

मेरी लिखावट अधूरी रह जाती
इन विचारो के चक्कर में।

विचारो के मतभेद को जैसे तैसे शांत किया,
एक विचार की टांग पकड़कर उसे डायरी में डाला,

तो शब्द उछल उछल कर अपनी दावेदारी पेश करने लगे,
शब्दो की इस भीड़ में कुछ को चुनना बेहद मुश्किल,
एक को न्यौता दो,तो दूसरा रूठ जाता
तीसरे का दामन पकड़ो तो पहला कभी वापस न आने की धमकी देता।

मेरी लिखावट अक्सर अधूरी रह जाती
इन शब्दो के चक्कर में।



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