वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Wednesday, 11 September 2019

Circle!

The nature of journey is to be a circle. 


उड़ता पंछी देख
दिल हवा हुआ

दिल बेखबर देख
महबूब फिदा हुआ

महबूब महफ़िल में देख
जमाना नाराज़ हुआ

जमाने का मूड देख मैं
   कुछ हैरान
कुछ परेशान हुआ

परेशान मुझसे होके
ये दिल खफा हुआ

खफा ए दिल को देख
पंछी वापस घोसले का जा हुआ! 

6 comments:

  1. shubhendu chaudhary is so talented

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  2. तुम्हारी कविता पढ़
    मेरा दिल बाग़ बाग़ हुआ

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    1. सुनकर ये पंछी
      फिर हवा हवा हुआ

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