हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
ख्वाहिशें,
हज़ारो लाखों ख्वाहिशें,
पल पल बदलती ख्वाहिशें,
वेवजह सी नादान ख्वाहिशें है!
कितनो को गले लगाकर सोता,
कुछ को धोखे से सुलाता हूँ
कितनो को पास बिठाता,
कुछ को बस टहलाता हूँ ,
कितनो को खूबसूरत सा खुद बनाता,
कुछ को खूबसूरत होने का एहसास भर दिलाता हूँ,
कितनो को जी भर चूमता,
कुछ के करीब होठ बस लाता हूँ
न जाने कितनो का खून करता
कितनो को दफनाता हूँ
ले देकर मैं कुछ का ही साथ निभा पता हूँ!
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