वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Sunday 20 August 2017

अंतर्द्वंद !

Life is a boxing match fought between me and my thoughts!


तेरे होने से मुझे मेरा एहसास है ?

या मेरे होने से तेरा ये अस्तित्व है ?



कि तेरी परछाई हूँ?

या मेरी परछाई का आईना तू ?



~तू कौन है ?



द्वन्द है!  
अंतर्द्वंद 
है!



सूरज का ताप हूँ ?

या अँधेरे की रौशनी मैं ?



घना ये जंगल हूँ ?

या तेरी उलझी हुई जुल्फे मैं ?



~कौन हूँ मैं ?

  

द्वन्द है!

 अंतर्द्वंद 
है!



खोजता हूँ तुझे मैं 

दिलचस्प तो है यह

तू भी मुझे खोज रहा



जो तू मुझसे लड़ रहा

कुछ तेरा क़त्ल हो रहा

कुछ मेरा खात्मा तू कर रहा



शायद पहचान की ये जंग है

जो भी है 
द्वन्द है

  अंतर्द्वंद 
  है!


Photograph: Boxing Bull -The Movie.

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