वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Thursday 5 October 2017

Angel!


जब हौसला तुम्हारा टूटने लगे
मैं उम्मीदें बनकर आऊंगा पास तुम्हारे

जब उदासी तुम्हे घेरने लगे
मैं भूख बनकर आऊंगा पास तुम्हारे
खा जाऊंगा तुम्हारे गम सारे

जब दर्द को भी दर्द होने लगे
मैं मरहम लगाने आऊंगा पास तुम्हारे

जब पलके तुम्हारी भीगने लगे
मैं गले लगाने आऊंगा पास तुम्हारे 

जब कदम लड़खड़ाने लगे
मैं कदम से कदम मिलाने आऊंगा पास तुम्हारे

हाथ पकड़कर साथ निभाने
हर पल, हर वक़्त
मैं रहूँगा पास तुम्हारे!





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