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| To be, or not to be, that is the question! |
अय्याश इरादे लिए
भटक रहा
है
रूह जो एकलौती उम्मीद
है
दूर हुए
जा रही
है
पतंग जो रूह
की बैखौफ
उड़नी थी
जिस्म उसकी डोर
बाँधे हुए
बैठा है
जिस्म जिसका सूरज
ढलने वाला
है
रूह को अंधेरे
में गुमराह
कर रहा
है
जिस्म को अभी
काफी नही
,काफी नहीं
जैसे किसी खूबसूरत
हसीना का
हाथ थाम
लो
तो उससे गदद्दारी
का जी
नही करता
वैसे ही शायद रूह
को जिस्म से
मोहब्बत हो गयी
है
रूह जो प्रेम
मोह में
लीन नज़र
आती है
उसे खूबसूरत हसीना के
धोखे का
इल्म नही
पर्दा जो उसने
आज ओढ़
रखा है
तमाशा खत्म होते
ही उठ
ही जायेगा
मृगतृष्णा
सा प्रेम
मोह में बँधा हुआ
जिस्म
सदियों से प्रेमी
की तरह
प्यासा था
प्यासा ही रह
जाएगा।
इल्म - जानकारी, ज्ञान
मृगतृष्णा - Mirage
रूह- Soul
Photograph :- Internet

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