वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Saturday, 5 December 2020

Faith!

 मै भी उदास 
वो भी उदास 
देख रहे थे 
उदासी से एक दूसरे को
कल की आंधियों से 
उजड़ गया था घोंसला उसका
और बिखर गए थे ख्वाब मेरे 
जैसे पेड़ से झड़ गए हो पत्ते
फिर न जाने क्या हुआ 
मैंने ज़मीन पे पड़े हुए पत्तो को
बड़े जतन से उठाकर उसका घोंसला बनाया 
उसने भी अपने पंख उधार दिए
ताकि ख्वाबों की उड़ान फिर से भर सकूं 
हमने आंधियों की उदासी 
आंधियों को वापस लौटा दी।



Faith is unseen but felt, faith is strength when we feel we have none, faith is hope when all seems lost.” 

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