वो नहीं है इसका गम न हो

वो थी ये वजह शुक्रगुज़ार होने को क्या कम है ?

दुनिया से पर्दा रोशनियों का बुझना तो नहीं

क्योंकि चिराग तो यूँ बुझाया गया है

कि सुबह होने को है।

~ रविंद्रनाथ टैगोर

Sunday, 21 May 2017

चिरैया



 मैं एक चिरैया,
हक मुझे भी है उड़ने का ,
मेरे भी हैं कुछ सपने,
मेरे भी हैं अरमान,
                                           
 अपने पंखो को फैलाकर आसमान की सैर करना का,
 मैं भी तुम लोगो की तरह सारी दुनिया को देखना  चाहती हूँ, 
अपनी आजादी का खुलकर जश्न मानना चाहती हूँ,




 पर हर बार मुझे रोका जाता है,
दफना दिया जाता है अरमानो को,
बंदिशे लगाई जाती है मुझ पर,
कभी पर क़तर दिए जाते है,
कभी पिंजरे मे बंद कर दिया जाता है,
   
जब मैं इस खुले आसमान मे अपने पंखो को फैलाकर उडती हूँ,
क्यों  मुझ पर  तरह तरह के आरोप लगते है ?
क्या तुम लोगो की तरह मुझे भी आसमान मे उड़ने का हक नहीं ?
क्या मैं भी इस आसमान की पंछी नहीं ?



मुझे भी उड़ने दो,
मुझे भी इस खुले नीले आसमान की सैर करने दो,

मेरे भी है कुछ सपने,
मेरे भी कुछ अरमान ,
मैं हूँ एक चिरैया,
हक मुझे भी है उड़ने का!




"Some birds are not meant to be caged, that's all. Their feathers are too bright, their songs too sweet and wild. So you let them go, or when you open the cage to feed them they somehow fly out past you."

 Photographs: clicked at Pushkar, Rajasthan ,India

 


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