जब कुछ संदेह हो, लिख लो! |
लिखता हूँ कि
कलम रुठ न जाये
मैं लिखता हूँ कि
दिल की कोई बात अधूरी छूट न जाये
लिखता हूँ कि
लफ्ज़ों की बैचेनी मिटा सकूँ
मैं लिखता हूँ कि
तुम्हारी यादों की तस्वीर बना सकूँ
लिखता हूँ कि
कागज़ को आईना बना सकूँ
मैं लिखता हूँ कि
तुम्हे खामोश जस्बात बता सकूँ
लिखता हूँ कि
खवाहिशों को आराम दे सकूँ
मैं लिखता हूँ कि
तजुर्बों को पनाह दे सकूँ
लिखता हूँ तुम्हे
कि खुद को पढ़ सकूँ
मैं लिखता हूँ कि
पढ़कर फिर से लिख सकूँ
लिखता हूँ कि
लिखना ही ज़िंदगी है
मैं लिखता हूँ कि
न लिखूं तो मौत है!
Photograph: clicked at Bap Village,Rajasthan,India
No comments:
Post a Comment